GSAT 11 उपग्रह को भारत से लॉन्च क्यों नहीं किया गया?
इसरो (ISRO) द्वारा सबसे वजनी उपग्रह GSAT 11 बनाया गया और इसका सफल प्रक्षेपण फ्रेंच गुयाना के एरियानेस्पेस के एरियाने-5 रॉकेट से किया गया. परन्तु क्या आप जानते हैं कि GSAT 11 को फ्रेंच गुयाना से ही क्यों लॉन्च किया गया, भारत से क्यों नहीं और इस उपग्रह की क्या खासियत या विशेषताएं हैं. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.
_*GSAT 11 उपग्रह को भारत से क्यों नहीं लॉन्च किया गया?👇🏻*_
इसरो कम वजनी उपग्रह को PSLV से लॉन्च करता है जिसकी क्षमता करीब 2 टन है लेकिन GSAT 11 को फ्रेंच गुयाना के Ariane Space Agency से प्रच्छेपित किया गया है क्योंकि GSAT 11 उपग्रह का वजन 5 टन से ज्यादा है. अभी भारत पूरी तरह से भारी सॅटॅलाइट को लांच करने में आत्म निर्भर नहीं हुआ है. साथ ही वर्तमान में एक बार में ही किसी उपग्रह को कक्षा में भेजने के लिए कोई सक्षम रॉकेट भी भारतीय एजेंसी के पास नहीं है. GSLV Mk-III आज के समय में उपग्रहों में अधिकतम 4 टन तक ही ले जा सकता है. इसीलिए फ्रेंच Ariane space के Ariane-5 रॉकेट जो कि भारी वजनी लगभग 9.1 टन तक के उपग्रह को कक्षा में लॉन्च करने के लिए सक्षम है इसीलिए इसरो ने इसको किराए पर लेकर GSAT 11 को सफलता पूर्वक लॉन्च किया.
_*GSAT 11 की क्या विशेषताएं हैं?👇🏻*_
वजन: 5854 किलोग्राम
कक्षीय स्थान (Orbital Location): 74 E
अंतरिक्ष यान पॉवर (Spacecraft power): 13.6 kW
पेलोड (Payload): 32 उपयोगकर्ता बीम (Ku-band) और 8 हब बीम (Ka-band)
थ्रूपुट डेटा दर (Throughput data rate): प्रति सेकंड 16 गिगाबिट्स
मिशन लाइफ (Mission life): 15 साल
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार GSAT 11 का वजन तकरीबन 5,854 किलोग्राम है. यह देशभर में ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाएगा. यहीं आपको बता दें कि अब तक भारत का सबसे वजनी उपग्रह GSAT 11 है.
- इसका उपयोग देश के दूर दर्ज इलाकों में हाई स्पीड इंटरनेट को प्रदान करने में किया जाएगा और इसको BIG BIRD भी कहा गया है.
- इसकी लागत लगभग 600 करोड़ है और इसका जीवनकाल 15 साल से अधिक का है.
- GSAT 11 को अगली पीढ़ी का 'हाई थ्रुपुट' संचार उपग्रह भी कहा गया है.
- इसमें 40 ट्रांसपोंडर्स लगे हुए हैं और इसका प्रत्येक सोलर पैनल 4 मीटर से ज्यादा लंबा है.
- शुरुआत में GSAT 11 उपग्रह को भू-समतुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा में ले जाया जाएगा और उसके बाद उसे भू-स्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
- अब तक इस उपग्रह में इन्सैट GSAT समूह के सबसे ज्यादा पांच एंटीना कनफीगर किए गए हैं.
- इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह उपग्रह भारतनेट परियोजना के तहत ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की जरूरतों को पूरा करेगा और भारत सरकार का डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत ग्रामीण और दूरदराज की ग्राम पंचायतों को भी इंटरनेट प्रदान करेगा.
- यह उपग्रह बीम्स को कई बार प्रयोग करने में भी सक्षम है, जिससे सम्पूर्ण देश के भुगौलिक क्षेत्र को कवर किया जा सकेगा.
- यानी की ये उपग्रह मल्टीस्पॉट बीम वाला है जो भारत के मुख्य भू भाग तथा द्वीपों में संचार सुविधाओं को उपलब्ध कराएगा.
- GSAT 11 के लॉन्च होने से इसरो के अनुसार लोगों को इंटरनेट की स्पीड में काफी बदलाव दिखेगा और इस उपग्रह की सहायता से हाई बैंडविथ कनेक्टिविटी 14 गीगाबाइट प्रति सेकंड डेटा ट्रांसफर स्पीड का होना भी संभव है.
तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि GSAT 11 को भारत से क्यों नहीं लॉन्च किया गया और इसकी क्या-क्या विशेषताएं हैं जो भारत के अन्य उपग्रहों से इसको अलग बनाती हैं.
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