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Chemical language and chemical bond (रसायन की भाषा एवं रासायनिक बंध)

Chemical language and chemical bond
(रसायन की भाषा एवं रासायनिक बंध)
किसी तत्व का प्रतीक उस तत्व के परमाणु को प्रदर्शित करता है |

कुछ प्रमुख यौगिक सूत्र:
जल H2O
कार्बन-डाई-आक्साइड = CO2
सल्फर-डाई-आक्साइड= SO2
सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक)= NaCl
कार्बोनिक अम्ल= H2CO3
सल्फ्यूरिक अम्ल (गंधक अम्ल)= H2SO4
कास्टिक सोडा= NaOH
पोटैशियम नाइट्रेट (शोरा)= KNO3
पोटैशियम परमैंगनेट (लाल दवा)= KMnO4
कैल्शियम हाइड्राक्साइड (बुझा चूना)= Ca(OH)2
कैल्शियम कार्बोनेट (खडिया)= CaCO3
अमोनिया= NH3
अमोनिया क्लोराइड (नौसादर)= NH4Cl
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (नमक का अम्ल)= HCl
नाइट्रिक अम्ल (शोरे का अम्ल) HNO3
सोडियम कार्बोनेट (धावन सोडा)Na2CO3
सोडियम बाई कार्बोनेट (खाने का सोडा)NaHCO3
सिल्वर नाइट्रेटAgNO3
कापर सल्फेट (तुतिया)CuSO4
फिटकरी या पोटैशियम ऐलुमिनियम सल्फेट K2SO4.Al(SO4)3.H2O
एसिटिक एसिड CH3COOH
मेथेन CH4
एथिलीन अथवा एथीन C2H4

*जल के एक अणु मे हाइड्रोजन के दो परमाणु और आक्सीजन का एक परमाणु उपस्थित होता है |
*जल मे द्रव्यमान के अनुसार 2 भाग हाइड्रोजन, 16 भाग आक्सीजन के साथ संयुक्त होता है |
*किसी तत्व का एक परमाणु हाइड्रोजन के जितने परमाणुओं से संयोग करता है, वह उस तत्व की संयोजकता कहलाती है |
*नाइट्रोजन गैस तथा हाइड्रोजन गैस संयोग करके अमोनिया गैस बनाती हैं |
*किण्वन: विशेष प्रकार के सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति मे कई कार्बनिक यौगिक नये यौगिकों मे परिवर्तित हो जाते हैं; इस क्रिया को किण्वन कहते हैं | उदाहरण:
1.दूध का खट्टा होना                                         2.सिरका का बनना
3.दूध से दही का बनना                                     4.दही से दुर्गंध का आना
5.मृत अवशेषों का सडना

*भौतिक परिवर्तन :वह परिवर्तन जिसमे पदार्थ के भौतिक गुण जैसे- रंग, रूप, अवस्था और घनत्व आदि बदल जाते हैं,किंतु पदार्थ के द्रव्यमान, संघटन एवं आणविक संरचना मे कोई परिवर्तन नहीं होता उसे भौतिक परिवर्तन कहते हैं | इसमे अणुओं की व्यवस्था बदल जाती है |

*रासायनिक परिवर्तन: वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ के रासायनिक संघटन एवं आणविक संरचना में परिवर्तन हो जाने के कारण उसके भौतिक और रासायनिक गुणों मे परिवर्तन हो जाता है, रासायनिक परिवर्तन कहलाता है |

*जिन तत्वों के परमाणुओं के अंतिम कोश मे इलेक्ट्रानों की संख्या 8 होती है उनके इलेक्ट्रानिक विन्यास को स्थाई इलेक्ट्रानिक विन्यास कहते हैं |

*हीलियम को छोड कर अन्य सभी अक्रिय गैसों की बाह्यतम् कक्षा में 8 इलेक्ट्रान होते हैं | हीलियम मे इलेक्ट्रानों की संख्या 2 होती है |

*किसी परमाणु का प्रतीक X है, इसके द्वारा 2 इलेक्ट्रान ग्रहण किये जाने पर बना आयन X2-  होगा |

*धनायन इलेक्ट्रान त्यागने से बनता है, तथा ऋणायन इलेक्ट्रान ग्रहण करने से बनता है |

*सह-संयोजक बंध इलेक्ट्रानों के साझा द्वारा बनता है |

*रासायनिक अभिक्रियाओं मे समस्त अभिकर्मकों का सम्पूर्ण द्रव्यमान, समस्त उत्पादों के सम्पूर्ण द्रव्यमान के बराबर होता है| अर्थात किसी भी रासायनिक अभिक्रिया मे द्रव्यमान का क्षरण नही होता है |

*किसी भी रासायनिक अभिक्रिया मे पदार्थ न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही उत्पन्न किया जा सकता है, इसे ही द्रव्य संरक्षण या द्रव्य की अविनाशिता का नियम कहते हैं |

*किसी भी पदार्थ के एक ग्राम अणु में अणुओं की संख्या समान होती है, इस संख्या को आवेगाद्रो संख्या कहते हैं |

*मोल पदार्थ की मात्रा का एस. आई. मात्रक है |
अम्ल, क्षार, लवण तथा कार्बनिक रसायन :
*क्षारकता अम्ल का गुण होता है |
*अम्लता क्षारक का गुण होता है |
*किसी घोल का PH मान 7 से कम हो तो वह अम्लीय होता है|
*किसी घोल का PH मान 7 से अधिक हो तो वह क्षारीय होता है |
*किसी घोल का PH मान 7 के बराबर या शून्य हो तो वह उदासीन होता है |
*वर्षा के जल का PH मान 5.6 से कम हो जाता  है तो वह अम्लीय वर्षा कहलाती है |
*लिटमस पेपर अम्लीय विलयन में नीला तथा क्षारीय विलयन में लाल हो जाता है |
*खाना पचाने मे HCL अम्ल का उपयोग होता है |
*नाइट्रिक अम्ल का प्रयोग सोना एवं चांदी के शुद्धीकरण मे होता है |
*कपडे से जंग के धब्बे हटाने के लिये आक्जैलिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है |
*वैसा भस्म जो जल मे विलेय हो क्षार कहलाता है |
*खाने का सोडा या सोडियम बाई-कार्बोनेट पेट की अम्लीयता को दूर करने मे एवं अग्नि शामक यंत्रों मे प्रयोग किया जाता है |
*पोटैशियम नाइट्रेट का उपयोग बारूद बनाने में होता है |

*कैल्शियम हाइड्रोआक्साइड का उपयोग :
1.घरों मे चूना पोतने में
2.गारा एवं प्लास्टर बनाने में
3.ब्लिचिंग पाउडर बनाने में
4.चमडा के उपर बाल साफ करने में
5.जल को मृदु बनाने में
6.अम्ल से जलने पर मरहम पट्टी करने में

*कास्टिक सोडा या सोडियम हाइड्रोआक्साइड का उपयोग :
1.साबुन बनाने में
2.पेट्रोलियम साफ करने में
3.दवा बनाने में
4.कपडा एवं कागज बनाने में
5.कारखानों को साफ करने में

*सल्फर डाईआक्साइड का उपयोग :
1.बर्फ बनाने में
2.प्रशीतक के रूप में
3.ऊन, रेशम आदि के रंग उडाने में
4.चीनी को रंग हीन एवं शुद्ध करने मे किया जाता है |

*अमोनिया का उपयोग :
1.ऊर्वरक बनाने में
2.अश्रु गैस बनाने में
3.विस्फोटक बनाने में
4.कृत्रिम रेशम बनाने में

*बेकिंग सोडा (खाने का सोडा)या सोडियम बाई कार्बोनेट का उपयोग:
1.अग्नि शामक यंत्रों मे
2.बेकरी उद्योगों में
3.प्रतिकारक के रूप में
4.सोडा वाटर बनाने में
5.शीतल पेय बनाने में
6.डबल रोटी बनाने में

*नौसादर या अमोनियम क्लोराइड का उपयोग :
1.रंगाई तथा प्रिंटिंग में
2.ऊर्वरक तथा अमोनिया के निर्माण में
3.औषधि निर्माण में

*पोटाश फिटकरी या पोटैशियम ऐलुमिनियम सल्फेट का उपयोग :
1.जल को शुद्ध करने में
2.कपडे की रंगाई में
3.चमडा उद्योग में
4.दाढी बनाने के बाद कटे स्थान पर रूधिर रोकने में
5.जीवाणु नाशक तथा आंख की दवा बनाने में

*मेथेन का उपयोग :
1.क्लोरोफार्म बनाने में
2.टायर एवं पेंट के निर्माण में होता है |

*एथिलीन अथवा एथीन का उपयोग :
1.मस्टर्ड गैस बनाने में
2.निश्चेतक के रूप में
3.कच्चे फलों को पकाने तथा उनके संरक्षण में
4.संश्लेषित रबड तथा पालीथीन बनाने में होता है |

*आयोडीन का उपयोग :
1.किटाणु नाशक के रूप में
2.औषधि उत्पादन के में
3.रंग उद्योग में

*सल्फर का उपयोग :
1.किटाणु नाशक के रूप में
2.बारूद बनाने में
3.औषधि के रूप में

*फास्फोरस का उपयोग :
1.लाल फास्फोरस का उपयोग दियासलाई बनाने में
2.श्वेत फास्फोरस का उपयोग चूहा मारने की दवा बनाने में

*प्रोड्यूसर गैस का उपयोग :
1.भट्ठी गर्म करने में
2.सस्ते ईंधन के रूप में
3.धातु निष्कर्षण में

*वाटर गैस का उपयोग :
1.ईंधन के रूप में
2.वेल्डिंग के कार्य में

*कोल गैस का उपयोग :
1.ईंधन के रूप में
2.निष्क्रिय वातावरण तैयार करने में

*कार्बन डाई-आक्साइड का उपयोग :
1.सोडा वाटर बनाने में
2.आग बुझाने में
3.हार्ड स्टील के निर्माण में

*ग्रेफाइट का उपयोग :
1.इलेक्ट्रोड बनाने में
2.स्टोव की रंगाई में
3.लोहे से बने पदार्थ पर पालिश में

*हीरा का उपयोग :
1.आभूषण निर्माण में
2.कांच काटने में

*एल्युमिनियम सल्फेट का उपयोग :
1.कागज उद्योग में
2.कपडों की छपाई में
3.आग बुझाने में

*मरकरी का उपयोग :
1.थर्मामीटर बनाने में
2.सिंदूर बनाने में

*ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग :
1.कीटनाशक के रूप में
2.कागज तथा कपडों के विरंजन में
3.क्लोरोफार्म के उत्पादन में

*कैल्शियम कार्बोनेट का उपयोग :
1.चूना बनाने में
2.टूटपेस्ट बनाने में
3.सीमेंट बनाने में

*कापर का उपयोग :
1.बिजली के तार बनाने में
2.बर्तन बनाने में

*भारी जल का उपयोग न्यूक्लीयर प्रतिक्रियाओं मे होता है |
*हाइड्रोजन का उपयोग अमोनिया के उत्पादन मे होता है |
*द्रव हाइड्रोजन का उपयोग राकेट ईंधन मे होता है |
*पोटैशियम परमैग्नेट का उपयोग जल को कीटाणु रहित करने में किया जाता है | इसे लाल दवा के नाम से भी जाना जाता है |
*मग्नीज स्पात का उपयोग हेलमेट तथा अभेद्य तिजोरी बनाने मे किया जाता है |
*कोबाल्ट स्पात का प्रयोग चुम्बक बनाने में किया जाता है |
*ओजोन आक्सीजन का एक अपरूप है, यह सूर्य से आने वाली पराबैगनी किरणों को कम करती है |

*नाइट्रोजन का उपयोग वहां करते हैं जहां किसी निष्क्रिय गैस की आवश्यकता होती है |

*द्रव नाइट्रोजन का उपयोग जैव पदार्थों के लिए प्रशीतक के रूप में, भोज्य पदार्थों को जमाने एवं निम्न ताप पर शल्य चिकित्सा के लिए किया जाता है |

*दलहनी पौधों की जडों मे राइजोबियम नामक जीवाणु पाए जाते हैं, जो नाइट्रोजन स्थिरिकरण में भाग लेते हैं |

*फास्फोरस प्राणी तथा बनस्पति पदार्थों का आवश्यक अवयव है, यह हड्डियों तथा जीव कोशिकाओं (DNA)में उपस्थित होता है |
*भारी जल 3.8C  पर जमता है |

*अस्थायी कठोरता : जल की अस्थायी कठोरता उसमे कैल्शियम और मैग्निशियम के बाई कार्बोनेट घुले रहने के कारण होता है | इस कठोरता को जल को उबालकर एवं बूझा चूना अथवा दुधिया डालकर दूर किया जा सकता है |

*स्थायी कठोरता : जल की स्थाई कठोरता उसमे कैल्शियम और मैग्निशियम के सल्फेट, क्लोराइट, नाइट्रेट आदि लवणों के घुले होने के कारण होती है | जल की स्थायी कठोरता को दूर करने की मुख्य विधि परम्यूटिट विधि है | जल मे सोडियम कार्बोनेट डालकर उबालने से स्थायी एवं अस्थायी दोनों प्रकार की कठोरता दूर हो जाती है |

*दलदलों से निकलने वाली गैस को मीथेन या मार्श गैस कहते हैं |

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